छत्तीसगढ़ राज्य गीत पर लेख
छत्तीसगढ़ का राज्य गीत, “अरपा पैरी के धार”, राज्य की संस्कृति, परंपरा, और प्राकृतिक सुंदरता का एक अद्वितीय प्रतीक है। यह गीत छत्तीसगढ़ के लोगों की भावनाओं और जीवनशैली को अभिव्यक्त करता है। गीत की रचना छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ने की थी। इसे राज्य सरकार द्वारा 2019 में छत्तीसगढ़ का आधिकारिक राज्य गीत घोषित किया गया था।
गीत के अर्थ और महत्व
“अरपा पैरी के धार” का अर्थ अरपा और पैरी नदियों की धाराओं से है, जो छत्तीसगढ़ की पवित्र नदियाँ हैं और यहाँ के लोगों के जीवन का आधार हैं। गीत में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन है। यह गीत केवल एक संगीत नहीं है, बल्कि एक ऐसी भावनात्मक रचना है जो छत्तीसगढ़ की मिट्टी की महक, यहाँ के वनों, नदियों, और यहाँ के लोगों की सरलता को जीवंत कर देती है।
गीत के बोल और छत्तीसगढ़ का जीवन
गीत में छत्तीसगढ़ के विभिन्न प्रतीकों का वर्णन किया गया है, जैसे धान के खेत, पर्वत, नदी और यहाँ की संस्कृति। गीत के बोल छत्तीसगढ़ की पहचान को दर्शाते हैं और यहाँ के लोगों के आत्मसम्मान और गौरव का परिचय देते हैं। यहाँ की भूमि को माँ का दर्जा दिया गया है, जो अन्न, जल और जीवन का स्रोत है।
राज्य गीत की भूमिका और उपयोग
छत्तीसगढ़ के राज्य गीत का उपयोग राज्य के महत्वपूर्ण अवसरों, जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और अन्य सरकारी कार्यक्रमों में किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं को सम्मान देना है और यहाँ के निवासियों में राज्य के प्रति गौरव की भावना को प्रोत्साहित करना है।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ का राज्य गीत “अरपा पैरी के धार” केवल एक गीत नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की आत्मा का प्रतीक है। इस गीत में छत्तीसगढ़ की मिट्टी, यहाँ की संस्कृति और परंपराओं का बखूबी चित्रण किया गया है, जो हर छत्तीसगढ़वासी को गर्व से भर देता है।
सदाबहार छत्तीसगढ़ी गाना
गीतकार- नरेंद्र देव वर्मा जी
अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
(अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)
अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां
(महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)
सोहय बिंदिया सही, घाट डोंगरी पहार
(सोहय बिंदिया सही, घाट डोंगरी पहार)
चंदा सुरूज बने तोरे नैना
सोनहा धान अइसे अंग, लुगरा हरियर हे रंग
(सोनहा धाने के अंग, लुगरा हरियर हे रंग)
तोर बोली हवे जइसे मैना
अंचरा तोर डोलावय पुरवईया
(महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)
सरगुजा हे सुग्घर, तोरे मउर मुकुट
(सरगुजा हे सुग्घर, जईसे मउर मुकुट)
रायगढ़ बिलासपुर बने तोरे बञहा
रयपुर कनिहा सही, घाते सुग्गर फबय
(रयपुर कनिहा सही, घाते सुग्गर फबय)
दुरूग बस्तर बने पैजनियाँ
नांदगांव नवा करधनियाँ
(महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)
अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पइयां
महूं विनती करव तोरे भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
(अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पइयां
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)