छत्तीसगढ़ का पारम्परिक त्यौहार : जेठौनी तिहार

जेठौनी तिहार

भारत की धार्मिक परंपराओं में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जिसे देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। तुलसी विवाह की परंपरा का सीधा संबंध भगवान विष्णु और माता तुलसी की पवित्र कथा से है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग-निद्रा से जागते हैं और इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत की जाती है।

तुलसी विवाह का महत्व:

तुलसी विवाह एक प्रतीकात्मक और धार्मिक आयोजन है जिसमें तुलसी के पौधे का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी को भगवान विष्णु की परम भक्त और देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इस विवाह से घर में सुख-समृद्धि, शांति और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह माना जाता है कि तुलसी विवाह का आयोजन करने से वैसा ही फल मिलता है जैसा कि किसी बेटी के विवाह में मिलता है, और यह पारिवारिक समृद्धि के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है।

छत्तीसगढ़ी गीत तुलसी विवाह पर-

जेठौनी तिहार छत्तीसगढ़ी गीत

तुलसी विवाह की पौराणिक कथा:

तुलसी विवाह की कथा के अनुसार, देवी तुलसी असुरराज जलंधर की पत्नी थीं, जो बहुत पवित्र और भगवान विष्णु की परम भक्त थीं। जब जलंधर ने अन्याय और अत्याचार का मार्ग अपनाया, तब भगवान शिव ने उसका वध किया। जलंधर की मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी तुलसी ने भगवान विष्णु को पति रूप में पाने की इच्छा जताई। इसके बाद भगवान विष्णु ने तुलसी के इस रूप को स्वीकार करते हुए उनसे विवाह किया और तुलसी को अमरत्व का वरदान दिया। तभी से तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ करने की परंपरा शुरू हुई।

तुलसी विवाह का आयोजन और विधि:

तुलसी विवाह का आयोजन बड़े श्रद्धा और भक्ति भाव से किया जाता है। इस दिन तुलसी के पौधे को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और भगवान शालिग्राम की मूर्ति को दूल्हे के रूप में रखा जाता है। शादी का आयोजन वैवाहिक रीति-रिवाजों के साथ किया जाता है, जिसमें पूजा, मंत्रोच्चारण, और आरती शामिल होती है। परिवार के सभी सदस्य इस आयोजन में शामिल होते हैं और तुलसी माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

वृन्दावन में स्थित निधि वन का मनमोहक वीडियो छत्तीसगढ़ी गीत के साथ-

धार्मिक और सामाजिक पहलू:

तुलसी विवाह का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी लाता है। तुलसी एक औषधीय पौधा है और इसका महत्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुत अधिक है। इसके पत्तों में औषधीय गुण होते हैं जो कई बीमारियों में लाभकारी माने जाते हैं।

संक्षेप में:

तुलसी विवाह भारतीय संस्कृति में आस्था, श्रद्धा और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से हम भगवान विष्णु और माता तुलसी के प्रति अपनी भक्ति और सम्मान व्यक्त करते हैं। साथ ही, तुलसी का पौधा पर्यावरण को शुद्ध करने और मानव जीवन को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है।

एक अद्भुत व रहस्यमय स्थान -निधिवन (वृन्दावन)


बताया जाता है कि यहां रोज अर्द्धरात्रि भगवान श्री कृष्ण व राधारानी रासलीला रचाते हैँ सभी पट व दरवाजा बंद रहने के बाद भी यहां रखे गए /चढ़ाये गए सामग्री जैसे खाने के लिये पान, एक लोटा पानी इत्र फूल,सुबह ज़ब देखा जाता है तो पता चलता है कि इन सामग्री का उपयोग हुआ रहता है जोकि आज भी रहस्य बना हुआ है l यहाँ के पेड़ की शाखाएं जमीन की ओर बढ़ती है,,, एक अद्भुत दुनिया …जय तुलसी मईया-

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