झुले नजरे नजर मे दाई | Kantikartik Yadav Jas Geet Lyrics
झुले नजरे नजर मे दाई
झुलर नजरे नजर मे वो
माटी के दुर्गा हे महमाई
कईसे करव तोर विदाई
लागे करलाई वो
झुले नजरे नजर मे दाई
झुलर नजरे नजर मे वो
Jas Geet Likhit main
नव दिन बर माटी के दुर्गा
पुतरी अस समर के वो
दुर्गा चरन पुजा पावत हे
महिसासुर मार के वो
बैरी अमर होगे दाई
बैरी जबर होगे दाई
चरण पद पाई वो
झुले नजरे नजर मे दाई
झुलर नजरे नजर मे वो
झलकत हे तोर गहना गुरिया
आंखी आंखी मा झुले वो
बघवा ऊपर माता बिराजे
हाथ धरे त्रिशुले वो
झलके रिगबिग रिगबिग माता
दमके रिगबिग रिगबिग माता
रहिबे तै सहाई वो
झुले नजरे नजर मे दाई
झुलर नजरे नजर मे वो
Kantikartik Yadav Jas Geet Lyrics
घर अंगना बिरान लागे
तोर जाती बिराती वो
भितरी भितरी मा मन कलपत हे
अंतस फाटे छाती वो
हे दुर्गा अन्नपुर्णा माई
लागे सुन्ना सुन्ना दाई
लागे पहुनाई वो
झुले नजरे नजर मे दाई
झुलर नजरे नजर मे वो
बछ्छर भर मा लहुट के आबे
माटी के दुर्गाा दाई वो
चलत चलागन पुरखा पुरागन
तैसने करन विदाई वो
नांदगाव नंदाई हुलिया
लिखे परमानंद कठुलिया कांति सिर नाई वो
झुले नजरे नजर मे दाई
झुलर नजरे नजर मे वो
Album – Maa Patal Bhairvi Singer – Kantikartik Yadav Lyrics – Parmanand Katholiya (Nandai, Rajnandgaon) Music – OP Dewangan