पुराना जस गीत लिखा हुआ-

चइत के महीना दाई आबे मंझनी बोरे बासी संग म खवाहू तोला वो पताल चटनी
चइत के महीना दाई आबे मंझनी ।।2।।
बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पाताल चटनी
पताल चटनी दाई दाई पताल चटनी ।।2।।
बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पताल चटनी
ए चइत के महीना दाई आबे मंझनी
बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पाताल चटनी
पताल चटनी दाई दाई पताल चटनी
बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पताल चटनी
कहाँ ले लावव माल पुआ मंय निर्धन किसान वो
मंय निर्धन किसान दाई
मंय निर्धन किसान वो
घर म आबे चिला खवाहु चाउर के पिसान वो
चाउर के पिसान दाई
चाउर के पिसान वो
तै आबे मंझनी….बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पताल चटनी
पताल चटनी दाई दाई पताल चटनी
बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पताल चटनी
अंगाकर ह बने मिठाही संग मिरचा के झार वो
संग मिरचा के झार दाई
संग मिरचा के झार वो
भोग लगा ले महामाई महु ल देना तार वो
महु ल देना तार दाई
महु ल देना तार वो
तै आबे मंझनी….बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पताल चटनी
पताल चटनी दाई दाई पताल चटनी
बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पताल चटनी
देवबलौदा देवलोक म हावय तोरे वास वो
हावय तोरे वास दाई
हावय तोरे वास वो
नौ दिन ले बलावत हव मंय करीके उपास वो
करीके उपास दाई
तै आबे मंझनी….बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पताल चटनी
पताल चटनी दाई दाई पताल चटनी
बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पताल चटनी
ए चइत के महीना दाई आबे मंझनी ।।2।।
बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पाताल चटनी
ए पताल चटनी दाई दाई पताल चटनी
बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पताल चटनी
बोरे बासी संग म खवाहु तोला वो पताल चटनी ।।4।।
स्वर: दिलीप षड़ंगी जी ,कुश शर्मा जी

दिलीप षड़ंगी जस गीत लिखा हुआ

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जस गीत लिखा हुआ

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