एक पतरी रैनी बैनी गीत लिखा हुआ || Ek Patari Raini Baini Best Lyrics

एक पतरी रैनी बैनी गीत लिखा हुआ

गऊरा गऊरी गीत– गऊरा गऊरी गीत छत्तीसगढ़ का एक प्रसिद्ध लोक उत्सव है। गऊरा हैं शिव तथा गऊरी हैं गौरी पार्वती। यह लोक उत्सव हर वर्ष कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या (दीपावली और लक्ष्मी पूजा के बाद) मनाया जाता है। इस पूजा में सभी जाति समुदाय के लोग शामिल होते हैं। दीपावली पूजा के दिन को ‘शुरुहुत्ति त्यौहार’ कहते हैं अर्थात् त्यौहार की शुरुआत। शाम चार बजे उस दिन लोग झुंड में गांव के बाहर जाते हैं और एक स्थान पर पूजा करते हैं। उसके बाद उसी स्थान से मिट्टी लेकर गांव वापस आते हैं। गांव वापस आने के बाद मिट्टी को गीला करते हैं और उस गीली मिट्टी से शिव-पार्वती की मूर्ति बनाते हैं। शिव है गऊरा – गऊरा है बैल सवारी और पार्वती याने गऊरी है सवारी कछुए की। ये मूर्तियां बनाने के बाद लकड़ी के पिड़हे पर उन्हें रखकर बड़े सुन्दरता के साथ सजाया जाता है। लकड़ी की एक पिड़हे पर बैल पर गऊरा और दूसरे पिड़हे पर कछुए पर गऊरी। पिड़हे के चारों कोनों में चार खम्बे लगाकर उसमें दिया तेल बत्ती लगाया जाता हैं। बड़े सुन्दर दृश्य है। रात को लक्ष्मी पूजा के बाद रात बारह बजे से गऊरा गऊरी झांकी पूरे गांव में घूमती रहती है। घूमते वक्त दो कुंवारे लड़के या लड़की गऊरा गऊरी के पिड़हे सर पर रखकर चलते हैं। और आसपास गऊरा गऊरी गीत आरम्भ हो जाते हैं नाच-गाना दोनों ही आरम्भ हो जाते हैं। गाते हुए नाचते हुए लोग झांकी के आसपास मंडराते हुए गांव की परिक्रमा करते हैं।

Ek Patri Raini Baini Lyrics

एक पतरी रैनी बैनी राय रतन वो

दुर्गा देवी तोरे शीतल छांव चौकी चंदन

पिढूली गौरी के होथे मान जईसे गौरी वो

मान तुम्हारे कईसे करौं असनान कोड़वा आसन

डोहड़ी परव छछलगे डार पान ला खाथे वो

फूले पहिरथे खेले सगरी के पार

cg diwali geet lyrics

तीन पतरी रैनी बैनी राय रतन वो

दुर्गा देवी तोरे शीतल छांव चौकी चंदन

पिढूली गौरी के होथे मान जईसे गौरी वो

मान तुम्हारे कईसे करौं असनान कोड़वा आसन

डोहड़ी परव छछलगे डार पान ला खाथे वो

फूले पहिरथे खेले सगरी के पार

पांच पतरी रैनी बैनी राय रतन वो

दुर्गा देवी तोरे शीतल छांव चौकी चंदन

पिढूली गौरी के होथे मान जईसे गौरी वो

मान तुम्हारे कईसे करौं असनान कोड़वा आसन

डोहड़ी परव छछलगे डार पान ला खाथे वो

फूले पहिरथे खेले सगरी के पार

Ek Patari Raini Baini Best Lyrics

सात पतरी रैनी बैनी राय रतन वो

दुर्गा देवी तोरे शीतल छांव चौकी चंदन

पिढूली गौरी के होथे मान जईसे गौरी वो

मान तुम्हारे कईसे करौं असनान कोड़वा आसन

डोहड़ी परव छछलगे डार पान ला खाथे वो

फूले पहिरथे खेले सगरी के पार

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Ek Patari Raini Baini Best Lyrics

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